कसौटी - CRITERIA (By Sh. Raj Kumar Dogra)

एक दिन एक व्‍यक्ति चाणक्‍य के पास आया। वह चाणक्‍य का परिचित था तथा उत्‍साह से कहने लगा: क्‍या आप जानते हैं?अभी अभी मैंने आपके मित्र विशेष के बारे में क्‍या सुना? चाण्‍क्‍य अपनी तर्क-शक्ति, व्‍यवहार-कुशलता व ज्ञान के लिए विख्‍यात थे। उन्‍होंने उस परिचित से कहा: आपकी बात मैं सुनुं, इससे पहले मैं चाहूंगा कि आप त्रिगुण परीक्षण से गुजरें। परिचित: यह त्रिगुण परीक्षण क्‍या है? चाणक्‍य ने समझाया: आप मुझे मेरे मित्र के बारे में बतायें, इससे पहले अच्‍छा यह होगा कि जो कहें, उसे थोड़ा परख लें, थोड़ा छान लें। इसलिए मैं इस प्रक्रिया को त्रिगुण परीक्षण कहता हूँ। इसकी पहली कसौटी है सत्‍य। क्‍या यह पक्‍का है कि आप जो कहने वाले हैंवह सत्‍य है? वह परिचित: नहीं, वास्‍तव में मैंने इसे कहीं सुना था। चाणक्‍य: ठीक है, आपको पता नहीं है कि यह बात सत्‍य है या असत्‍य। अब हम दूसरा परीक्षण करते हैं। दूसरी कसौटी है- अच्‍छाई। क्‍या आप मुझे मेरे मित्र की कोई अच्‍छाई बताने वाले हैं? परिचित: नहीं, बल्‍कि इसके उलट ........., चाणक्‍य: तो जो आप कहने वाले हैं वह न तो सत्‍य है न ही अच्‍छा। चलिए तीसरा परीक्षण करें तथा तीसरी कसौटी है- उपयोगिता। जो आप मुझे बताने जा रहे हैं, क्‍या वह मेरे लिए उपयोगी है? परिचित: नहीं ऐसा तो नहीं है। चाणक्‍य की अन्तिम बात: देखो सज्‍जन, आप जो मुझे बताने वाले हैं, वह न सत्‍य, न अच्‍छाई लिए और न ही उपयोगी है फिर मुझे बताना क्‍यों चाहते हैं? सारांश :- 1.दुर्जन की विद्या विशाद के लिए, धन मद के लिए और शक्ति दूसरों को कष्‍ट देने के लिए होती है। इसके विपरीत सज्‍जन की विद्या ज्ञान के लिए, धन दान के लिए और शक्ति रक्षा के लिए होती है। Difficulties: Do not dodge the difficulties ---- Meet them, Greet them, & Beat them

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