एक गांव के बाहर एक तालाब था। तालाब के किनारे धोबी ने एक बड़ा सा पत्थर जमा दिया था जिस पर वह हर रोज कपड़े धोता था। एक दिन वहां से गुजरते हुए एक महात्मा ने उस पत्थर पर बैठकर ध्यान- समाधि लगा ली। अगले दिन जब धोबी आया तो महात्मा को समाधि में बैठा देख कर चुपचाप प्रतीक्षा करने लगा। काफी देर बाद उसे अपने काम की फिक्र हुई तो उसने महात्माजी को ध्यान की अवस्था में ही उठाकर दूसरी जगह बिठा दिया। स्वर्ग के देवताओं से धोबी की यह धृष्टता नहीं देखी गई तथा इसकी शिकायत इन्द्रदेव से करने गये। उनके वापिस आने के पहले ही महात्मा का ध्यान टूटा और अपने आप को दूसरी जगह पाकर धोबी पर अहंकारवश नाराज होने लगे। नाराजगी झगड़े में बदल गई तथा झगड़ा बढ़ गया। हाथा-पाई होने लगी इसमें दोनों को गमछा व लंगोटी गिर गई और वे नग्नावस्था में ही लड़ते रहे। इतने में देवता भी आ गये तथा मल युद्ध देखने लगे। महात्मा की जब देवताओं पर नजर पड़ी तो देवताओं से कहने लगे कि आपके आने का क्या लाभ? आपने मेरी सहायता नहीं की। इस पर देवताओं ने कहा : हम आये तो आपकी सहायता के लिए ही थे पर यहां आकर हमें पता नहीं चल रहा था कि महात्मा कौन और धोबी कौन है। सारांश :- (1) जब कोई महात्मा, महात्मा का गुण त्याग कर काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार के चक्कर में पड़ जाता है तो ऐसे महात्मा को मनुष्य तो क्या देवता तक भी नहीं पहचान पाते। (2) Do not argue with an idiot, he will drag you down to his level and beat you with his experience. It naturally rains: सुकरात एक महान दार्शनिक था। उसकी पत्नी उससे आए दिन किसी न किसी बात पर झगडा़ करती रहती थी। एक दिन वह कपडे़ धो रही थी और सुकरात पर नाराज हो उठी। काफी देर बहुत कुछ कहने के बाद भी उसका गुस्सा ठंडा नहीं हुआ तो उसने साबुन वाले पानी की भरी बाल्टी सुकरात पर फैंक दी। सुकरात अनायास हो बोल उठा : बादलों के चमकने तथा गरजने के बाद तो वर्षा स्वाभाविक ही होती है। Further It naturally rains after thunder & lightening.
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