(तब) एक आदमी प्याज की चोरी करता पकडा़ गया। उसे सजा मिली: 1. सौ प्याज खाओ या 2. सौ कोडे़ खाओ या 3. सौ रूपये दो। वह सौ प्याज खाने के लिए तैयार हो गया। अभी मुश्किल से 8-10 प्याज ही खाये थे कि आँख मुँह व नाक से पानी बहने लगा तथा कह उठा कि वह कोडे़ खा लेगा परन्तु वह भी न सह सका तथा सौ रूपये देकर ही सजा पूरी की। (अब) वह प्याज चोर सौ प्याज खाने के लिए तैयार हो गया। उसने धीरे धीरे प्याज छीलना शुरू किया तथा धीरे-धीरे छीलता रहा। जब भी जल्दी के लिए कहाजाता तो कहता कि छील रहा हूं। छीलने के पश्चात् एक छोटा सा टुकडा़ मुँह में डाल कर चबाता रहता।इस प्रकार बहुत देर बाद दूसरा टुकडा़ मुँह में डाल कर चबाने लगा यानि कि खा नहीं बल्कि स्वाद ले रहा था। जब उसे डांटा गया तथा जल्दी खाने के लिए कहा गया तो वह बोला : समय की तो कोई शर्त नहीं है सिर्फ 100 प्याज खाने है सो खा रहा हूं और खा कर ही रहूंगा। इस तरह उसने 100 प्याज खा कर सजा पूरी की क्योंकि बीच में समय की कोई शर्त नहीं थी। चाहे सौ दिन में खाए। सारांश : हर समस्या को समस्या समझकर उसी समय सुलझाने नहीं लग जाना चाहिए अपितु उसके हरेक पहलु पर विचार करके उनको सुलझाने का यत्न करना चाहिए। जैसे कि कई बार प्रश्न का उत्तर एक और प्रश्न भी होता है ।
← Back to Stories