एक बार की बात है. मुल्ला नसरुद्दीन के गाँव में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. गाँव के लोगों ने सोचा कि क्यों ना मुल्ला नसरुद्दीन को मुख्य अतिथि के तौर पर भाषण देने बुलाया जाये. कार्यक्रम आयोजित करने वाले कुछ लोग मुल्ला के घर पहुँचे और बोले, “मुल्ला साहब, हमारे कार्यक्रम में आप मुख्य अतिथि हैं. आपको वहाँ मौज़ूद लोगों को संबोधित करना होगा. आमंत्रण स्वीकार करें.” मुल्ला तैयार हो गया. नियत तिथि और समय पर वह कार्यक्रम में पहुँच गया. जब भाषण देने की बारी आई, तो वह वहाँ मौज़ूद लोगों से बोला, “क्या आप लोग जानते हैं कि मैं आपको क्या बताने वाला हूँ?” “नहीं.” एकस्वर में कार्यक्रम में मौज़ूद लोगों ने कहा. “जब आप लोगों को इस बात का कोई अंदाज़ा ही नहीं कि मैं आपको क्या बताने जा रहा हूँ. तो मेरा यहाँ कुछ भी कहने का कोई फ़ायदा नहीं. मैं जा रहा हूँ.” नाराज़गी भरे स्वर में मुल्ला बोला और कार्यक्रम से चला गया. लोगों को लगा कि उनकी वजह से मुल्ला नाराज़ होकर चला गया है. इसलिए उन्होंने माफ़ी मांगकर उसे अगले दिन फिर से बुला लिया. अलगे दिन मुल्ला ने सबको संबोधित करते हुए फिर से वही पूछा, “क्या आप लोग जानते हैं कि मैं आप लोगों को क्या बताने वाला हूँ?” “नहीं.” इस बार लोगों ने अपनी गलती सुधार ली. यह सुनकर मुल्ला बोला, “जब आपको पहले से ही मालूम है कि मैं आपको क्या बताने वाला हूँ, तो मेरे बताने का क्या फ़ायदा? मैंने जा रहा हूँ.” ये कहकर मुल्ला वहाँ से चला गया. लोग हैरान रह गये. उन्हें मुल्ला का व्यवहार अजीब भी लगा. कई लोग मुल्ला से खफ़ा भी हो गए. लेकिन उन्होंने फिर से उसे कार्यक्रम में बुलाने का निश्चय किया. लेकिन, आपस में सलाह-मशवरा कर उन्होंने पहले ही तय कर लिया कि इस बार आधे लोग “हाँ” कहेंगे और आधे लोग “ना”. अगले दिन मुल्ला ने फिर से पूछा, “क्या आप लोग जानते हैं कि मैं आपको क्या बताने वाला हूँ?” जैसा तय था, वैसे ही आधे लोगों ने “हाँ” कहा और आधे लोगों ने “ना”. “यदि आधे लोगों को मालूम है कि मैं क्या बताने वाला हूँ, तो वे बाकी आधे लोगों को बता दें.” कहकर मुल्ला कार्यक्रम से चला गया. कार्यक्रम में बैठे लोगों को काटो तो खून नहीं. उसके बाद उन्होंने कभी मुल्ला को किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाया. #mulla #nassiruddin #hansi #humour #laugh
← Back to Stories