योगी और राजा – आत्म-संयम का परीक्षण

बहुत समय पहले की बात है। दक्षिण भारत में एक प्रसिद्ध राज्य था, जिसका नाम सोमराज्य था। इस राज्य का राजा वीरसेन बड़ा बुद्धिमान और पराक्रमी था, लेकिन उसमें एक दोष था — उसे अपनी शक्ति और भव्यता का अहंकार था। वह सोचता था कि उससे बड़ा कोई नहीं। एक दिन राज्य के महामंत्री ने राजा को बताया कि पास के वनों में एक महान योगी रहते हैं – योगी ब्रह्मनंद। वे तपस्या में लीन रहते हैं, साधना से तेजोमय हो चुके हैं और लोगों को आत्म-ज्ञान का उपदेश देते हैं। राजा को सुनकर आश्चर्य हुआ, "भला मुझसे बड़ा कौन योगी हो सकता है? मैं धर्म करता हूँ, यज्ञ करता हूँ, प्रजा की रक्षा करता हूँ। चलो, देखता हूँ ये योगी कौन हैं।" राजा अपने सैनिकों और राजसी ठाठ-बाठ के साथ योगी ब्रह्मनंद के आश्रम पहुँचा। योगी साधना में लीन थे। राजा ने शंखनाद करवाया, लेकिन योगी ने कोई ध्यान नहीं दिया। राजा ने सैनिक से कहा – “उन्हें उठाओ!” पर सैनिक डर के मारे कुछ न कर सके। राजा स्वयं आगे गया और कहा, “हे योगी! मैं राजा वीरसेन, समस्त दक्षिण का अधिपति, आपके दर्शन करने आया हूँ, और आप मेरी उपेक्षा कर रहे हैं!” योगी ने धीरे से आँखें खोलीं। मुस्कुराए और बोले, “राजन्, जो भीतर के राज्य को जीत चुका हो, उसे बाहर की राजगद्दी का मोह नहीं। आपकी यात्रा मंगलमयी हो।” राजा को बुरा लगा। वह बोला, “यदि तुम महान हो, तो मेरी एक परीक्षा लो। मैं तुम्हारे मार्ग पर चलना चाहता हूँ। क्या मैं संयम रख सकता हूँ, साधना कर सकता हूँ?” योगी बोले, “तो तीन दिन इस आश्रम में रहो, बिना राजसी ठाठ के, केवल भिक्षा पर।” राजा ने चुनौती स्वीकार की। पहला दिन – राजा को रुखी सूखी रोटी मिली, वह खा गया। दूसरा दिन – उसे किसी ने भोजन नहीं दिया। राजा को गुस्सा आया, पर चुप रहा। तीसरे दिन – जब भूख से पीड़ित राजा बैठा था, एक भिक्षुक उसके सामने आया और कहने लगा – “हे भिक्षुक! जो रोटी तुम्हारे पास है, क्या मुझे दोगे?” राजा की आंखें भर आईं। उसने अपनी बची हुई सूखी रोटी उस भिक्षुक को दे दी। योगी ब्रह्मनंद सामने प्रकट हुए और बोले – “राजन्, आज तुमने पहला सत्य समझा – त्याग। अब तुम सच्चे राजा बनने योग्य हो।” राजा ने चरणों में प्रणाम किया। अहंकार से मुक्त होकर वापस लौटा और प्रजा को प्रेम, सेवा, और संयम का महत्व समझाने लगा। 📚 सीख: सच्चा योगी वही है जो भीतर का राज्य जीत ले। त्याग, संयम और सेवा ही आत्मिक शांति की कुंजी हैं।

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